वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए/Which direction should be mandir in home

  हिन्दू धर्म में मंदिर सबके घरमे होता है लेकिन उसका सही दिशा में होना हमारे जीवन में बोहत बड़े बदलाव ला सकता है इसलिए वास्तु शास्त्र में मंदिर की कुछ दिशाए निर्धरित की गयी है वह कोनसी दिशाए है जिसमे हमारे घरमे मंदिर, पूजा रूम होना चाहिए उसके बारेमे इस आर्टिकल में आपको पूरी जानकारी मिलेगी . वास्तु शास्त्र के अनुसार हमारे घर में मंदिर के लिए उपयुक्त स्थानों की बहुत ही सुंदर व्याख्या की गई है मंदिर ऐसा स्थान है जहां पर हम परमपिता परमात्मा परमेश्वर की उपासना करते हैं ताकि हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ सके और हमारे जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहे .और जीवन में जो भी हमने उपलब्धियां प्राप्त की है उसके लिए हम उन्हें थैंक यू कहते हैं, हम उनका शुक्रिया करते हैं .तो दोस्तों घर में मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है तो जो सबसे शुभ स्थान मंदिर के लिए माना जाता है परमपिता परमात्मा की उपासना के लिए उसे हम ईशान कोण कहते हैं.
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए
  पहली दिशा ईशान कोण  (North East)   में ही मंदिर बनाना ताकि सुख समृद्धि आपके जीवन में हमेशा बनी रहे और आप हमेशा खुश रहें   मंदिर एक ऐसी जगह जहां पर आपकी इच्छाओं की पूर्ति होती है तो मंदिर हमेशा ईशान कोण (North East) डायरेक्शन में होना चाहिए    दूसरी दिशा पश्चिम दिशा   पूजा रूम या मंदिर पश्चिम दिशा में भी बहुत ही अच्छे परिणाम देता है . क्योंकि पूजा रूम भी (मेनिफेस्टेशन) का कारक है इच्छाओं का कारक है और जब इच्छा शक्ति अच्छी करनी हो मन अच्छा करना हो तो आप पश्चिम दिशा में बैठकर जब पूजा करते हो तो बहुत अच्छे परिणाम आप लोगों को मिलते हैं पश्चिम हमेशा सर्वश्रेष्ठ है, टॉयलेट छोड़कर यह नकारात्मक गतिविधि को छोड़कर यहां पर कुछ भी किया जाए वह आपको अच्छे परिणाम ही देगा .यहां पर बैठकर खाना खाने से सेहत के लिए बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं.  

पूजा करते वक्त हमारा मुख किस दिशा में होना चाहिए?

                                           ईशान कोण  प्लांट या भवन का वह स्थान है जहां पर उत्तर और पूर्व के कोने आपस में मिलते हैं. जो उत्तर पूर्व का कोण होता है उसे हम ईशान कोण कहते हैं. ईशान कोन घर का  सबसे शुभ स्थान है जहां पर हमें मंदिर का निर्माण करना चाहिए. पूजा करते वक्त स्थितियां ऐसी हो कि हमारा मुख पुरब की ओर हो तो सबसे सुंदर रहता है. दोस्तों अगर ईशान में मंदिर बनाना पॉसिबल ना हो, आपके पास स्थान की कमी आ रही हो, तो आप इसे पूर्व दिशा की ओर बना सकते हैं. पूर्व दिशा में बना हुआ मंदिर अधिकतम उत्तर की ओर होना चाहिए. उत्तर के कोने की तरफ जितना अधिक निकट हो उतना वह अच्छा है. ऐसे ही अगर वहां पर भी स्थान नहीं मिल पा रहा है तो आप उत्तर दिशा में भी मंदिर का निर्माण कर सकते हैं लेकिन विशेष ध्यान देने योग्य बात यही है कि मंदिर में पूजा करते वक्त हमारा मुख पूर्व की ओर होना चाहिए.    

गलत दिशा में मंदिर बनाने से क्या होता है?  गलत दिशा में मंदिर बनाने से कौनसे परिणाम होते है ?दक्षिण दिशा में पूजा करने से क्या होता है

            लोग तीन दिशाओं में मंदिर बना लेते हैं .उत्तर दिशा कुबेर की दिशा है. जैसी ही आप इन दिशामे मंदिर बनाओगे तो आपके जीवन के अंदर अवसर आने बंद हो जाएंगे .अग्नि कोण में मंदिर लोग बना लेते हैं कहते हैं की माता रानी की दिशा हैं, लेकिन वहां पर अगर आपका मंदिर बना हुआ होता है तो हमेशा दुर्घटना की संभावना होती है और दुर्घटना के कारण मौत भी हो सकती है . साउथ वेस्ट यानी की दक्षिण पश्चिम में अगर आप मंदिर बना लेते हो तो पेमेंट रिकवरी से रिलेटेड समस्या हंड्रेड परसेंट आएगी. स्पेशली फैक्ट्री या जिनके कारखाने हैं उनको इन तीनों चीजों से बचना है,रिश्तेदारों को पैसा दोगे, रिलेशनशिप भी खराब होगा और पैसा भी फसता चला जाता है. छोटे छोटे से वास्तु दोष आपके जीवन में बहुत सारी समस्याओं को पैदा कर देते हैं   

mandir me kapda rakhna chahiye ya nahi/भगवान को रखने के लिए कौन से कलर का कपड़ा बिछाना चाहिए 

 बहुत सारे लोगों का प्रश्न होता है कि, घर के अंदर जो मंदिर होता है उसमें भगवान को रखने के लिए कौन से कलर का कपड़ा बिछाना चाहिए.  अगर आपके घर के अंदर नॉर्थ ईस्ट में मंदिर है ,या  फिर नॉर्थ ईस्ट में  पूजा करते है, या फिर ईस्ट दिशा के अंदर करते है. यह दोनों में से कोई भी डायरेक्शन के अंदर मंदिर है तो आपको लाल कलर का कपड़ा कभी भी उपयोग नहीं करना चाहिए. अगर आपको नॉर्थ ईस्ट में भगवान को रखने के लिए कपड़े का इस्तेमाल करना है तो आप हरे कलर का इस्तेमाल कर सकते हो या फिर पीले कलर का इस्तेमाल कर सकते हो. वैसे पीला कलर का कपड़ा सबसे बेस्ट माना गया है .

पूजा रूम किस जगह पर नहीं बनना चाहिए?/घर में मंदिर कहाँ नहीं होना चाहिए?

 पूजा रूम किस जगह पर नहीं बनना चाहिए? पूजा घर कभी भी बेडरूम में नहीं बनना चाहिए, क्योंकि बेडरूम पर राहु ग्रह का अधिकार होता है. जो भौतिकवादी ग्रह है.जो तामसिक गुनो में वर्दी करता है ,जबकि पूजा घर अगर बृहस्पति के अधिकार में आता है. जो की सात्विक ग्रह है और सात्विक गुनो में वृद्धि करता है. बेडरूम में पूजा  होने पर बेडरूम के स्वामी राहु द्वाराबृहस्पति के प्रभाव में कमी आएगी जिसके कारण आध्यात्मिकता में कमी आएगी .और पूजा का जो लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाएगा. बृहस्पति संतान एवं सांसारिक सुखों का भी कारक है बेडरूम में पूजा घर बनाने से बृहस्पति अपने शत्रु राहु से पीड़ित होगा जिसके कारण संतान सुख सांसारिक सुख और धन में कमी आएगी इसलिए बेडरूम या बैठक रूम के अंदर पूजा घर नहीं बनना चाहिए अगर जगह की कमी हो तो स्टडी रूम के साथ पूजा रूम बना सकते हैं.    पूजा रूम कभी भी किचन के साथ नहीं बनना चाहिए आजकल लोग किचन में ही पूजा घर बना लेते हैं जो ठीक नहीं है. किचन में प्रयोग होने वाली चीज मिर्च मसाला गैस तेल काटा चम्मच नमक आदि शुक्र ग्रह की प्रतीक होती है. शुक्र ग्रह का वास भी किचन में ही होता है उग्र स्वभाव का ग्रह होने के कारण शुक्र उग्र प्रभाव में वृद्धि करता है जिसे पूजा करने वाले की शांति और सात्विकता में कमी आती हैं .इसलिए किचन में पूजा करने से आध्यात्मिक चेतना का विकास नहीं हो पाता है. पूजा घर का दरवाजा टॉयलेट के दरवाजे के सामने कभी नहीं होना चाहिए क्योंकि पूजा स्थान एक पवित्र जगह होती है. टॉयलेट का दरवाजा सामने होने से पूजा रूम के स्वामी ग्रह बृहस्पति के सात्विक गुनो के प्रभाव में कमी आती है, जिसके कारण पूजा का पूर्ण आध्यात्मिक लाभ व्यक्ति को नहीं मिल पाता है . पूजा घर सीडीओ के नीचे भी कभी नहीं बनना चाहिए.  

पूजा कक्ष में मूर्तियाँ होनी चाहिए या नहीं?पूजा कक्ष में मूर्तियाँ कितनी  इंच से अधिक नहीं रखना चाहिए/puja room me murtiya kitani inch ki honi chahiye 

   पूजा रूम में रखी जाने वाली प्रतिमा या मूर्ति  घर में हमेशा  साफ सुथरी ही रखनी चाहिए मूर्ति हमेशा धातु पत्थर या मिट्टी की होनी चाहिए मिट्टी की मूर्तियां शुभ होती हैं लेकिन वह अंदर से खोखली नहीं होनी चाहिए प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां अक्सर खोखली होती है इसलिए इन खोखली मूर्तियों को पूजा रूम में नहीं रखना चाहिए सामान्यतः घरों में खड़ी मूर्ति की आलावा बैठी मूर्ति का होना शुभ होता है. पूजा घर में मूर्ति का आकार 9″ इंच से अधिक नहीं रखना चाहिए

पूजा कक्ष महत्वपूर्ण  वास्तु टिप्स 

  घर में विष्णु जी लक्ष्मी जी राम सीता जी कृष्ण जी और बालाजी जैसे सात्विक एवं शांत देवी देवता का यंत्र मूर्ति और तस्वीर रखना शुभ होता है पूजा घर में मूर्तियां एक दूसरे की ओर मुख करके नहीं रखनी चाहिए घर में रखे देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा नहीं करनी चाहिए क्योंकि घर में रखे देवी देवताओं के प्राण प्रतिष्ठा करने पर नियमित रूप से शास्त्र निर्देशित पूजा भोग संध्या वंदन आदि आवश्यक होता है पूजा घर में खंडित मूर्तियां और सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुएं न रखें. कागज या कांच की मूर्ति भी पूजा घर में ना रखें क्योंकि इसे दर्शन लाभ तो हो सकता है परंतु इष्ट बल नहीं बढ़ता है .इष्ट देव की मूर्तियां या चित्र टेबल की दराज में ना रखें साथ ही पूजा घर में मूर्तियों के सिवा कुछ ना रखें.  
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए
 दो शिवलिंगों ,दो शालिग्राम , तीन देवी प्रतिमा और तीन गणेश जी की मूर्तियों को पूजा कमरे में साथ में नहीं रखना चाहिए. देवताओं को सामान्य भूमि से थोड़ा ऊपर स्थापित करना चाहिए पूजा घर में किसी प्राचीन मंदिर से लाई गई मूर्ति नहीं रखना चाहिए .किसी भी प्रकार से अंश मात्र भी ईस्ट प्रतिमा खंडित हो गई हो तो कितनी भी बहुमूल्य क्यों ना हो पूजनयोग्य नहीं होती. है इसलिए ऐसी स्थिति होने पर उन्हें पवित्र जल में विधि विधान से विसर्जित कर देना चाहिए. देवी देवताओं की प्रतिमा से उतरे सूखे पुष्प ,माला तथा हवन रूप आदि की राख सफाई में निकला अवशेष ,जल नारियल के टुकड़े ,पुराने वस्त्र आदि को अनावश्यक समझ फेंकने के बजे तेज बहते जल में विसर्जित कर देना चाहिए या उसे पीपल या बरगद जैसे पवित्र पेड़ को अर्पित कर देना चाहिए. पूजा घर में हवन कुंड अग्नि कोण में बनाना चाहिए लेकिन हवन करते समय पूर्व दिशा की तरफ रहना चाहिए. पूजा रूम का आकार और स्थिति, पूजा घर पिरामिड के आकार का हो तो काफी लाभप्रद होता है. क्योंकि पिरामिड में व्यवस्था को  बनाए रखने की क्षमता होती है .जिसके फल स्वरुप विखंडन की क्रियाएं नहीं होती .इसका कारण उसमें उत्पन्न होने वाली अग्नि और आकाश से ऊर्जाओं का होना होता है .पूजा रूम का आकार वर्गाकार या आयताकार रखना अत्यधिक शुभ और लाभदायक होता है लेकिन आयताकार रखने पर इसकी लंबाई को चौड़ाई के दुग्धों से अधिक नहीं रखना चाहिए. पूजा रूम की ऊंचाई को दूसरे कमरों की तुलना में कम या ज्यादा ऊंचा नहीं रखना चाहिए. जहां तक संभव हो पूजा सहित सभी कमरों की छते एक सम्मान ऊंचाई पर रखें .पूजा रूम का कोई भी कोना ज्यादा या काम नहीं होना चाहिए .पूजा रूम के उत्तर पूर्व में पानी या अंडरग्राउंड वॉटर टैंक हो तो लक्ष्मी प्रसन्न होकर सुख समृद्धि देती है उस स्थान पर रहने वाले व्यक्ति प्रसिद्ध सम्मानित एवं प्रतिष्ठित होते हैं .  

पूजा घर के महत्वपूर्ण नियम 

पूजा रूम में हमेशा स्नान करके शुद्ध एवं पवित्र हाेकर हीं प्रवेश करें. रात्रि में जो वस्त्र पहन कर सोते हैं या जो वस्त्र पहनकर टॉयलेट जाते हैं वह वस्त्र पहनकर पूजा नहीं करनी चाहिए .पूजा घर को हमेशा शुद्ध और पवित्र रखें. इसमें झाड़ू कचरा कोई और अपवित्र और वजनदार वस्तु न रखें . झाड़ू और कूड़ेदान आदि करके ईशान कौन या पूजा घर के आसपास नहीं रखना चाहिए. जिस प्रकार गंदगी रहने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है उसी प्रकार पूजा रूम में साफ सफाई न होने पर आध्यात्मिक ऊर्जा की हानि होती है.   
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