Vstu DevataVstu Devata

Vastu Shastra /वास्तु शास्त्र

भारतीय सनातन धर्म में वास्तु शास्त्र को बड़ा महत्व है,वास्तु शास्त्र क्या है और वह कहासे आया है? उसकी उत्पति कहा हुई है ,इसकी सटीक जानकारी आपको इस आर्टिकल में मिलेगी. वास्तु शास्त्र को जो भी लोग मानते है उनके जीवन  और उसका जो भी पालन करते है उनका जीवन सुखमय और हेल्दी बना रहता। है वास्तु शास्त्र एक पुरातन शास्त्र है और इसका हमारे जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है. अपना नया घर बनाते समय वास्तु शास्त्र को जरूर ध्यान में रखना चाहिए 
विश्वकर्मा प्रकाश एक ऐसा ग्रंथ है जिस पर लगभग वास्तु की सारी जानकारियां जो आपने आज तक सुनी होगी वो यहां पर मिलती है बल्कि इससे भी इतनी ज्यादा जानकारी मिलती है
office Vastu chakra
वास्तु पुरुष के ऊपर और  अंदर की कक्षा में 45 देवता बैठे हैं विराजमान है और बाहर के कक्षा में आठ देवियां स्थापन है ,देवता और देवियों यहां वास करते हैं निवास करते हैं रहते हैं इसलिए भवन  फैक्ट्री दुकान खुली जगह को वस्तु कहते हैं ऐसा प्रसाद मंडल ग्रंथ के आठवें अध्याय के 96 और 97 श्लोक में वर्णन किया है समरांगण  सूत्रधार ,विश्वकर्मा प्रकाश , भवन भास्कर आदि संस्कृत ग्रंथ  में वास्तु पुरुष उत्पत्ति एवं जन्म कथा विस्तृत है और अलग शैली में वर्णित है वास्तु पुरुष की कल्पना भूखंड में एक ऐसे ऊंचे मुख पड़े पुरुष के रूप में की जाती है जिसमें उसका मुंह ईशान कोण में और पैर नैऋत्य  की ओर होते हैं उनकी भुजाएं और कंधे वायव्य कौन और आग्नेय को की ओर मुड़ी हुई रहती है

Vastu Shastra katha/वास्तु शास्त्र कथा

मत्स्य पुराण के अनुसार वास्तु पुरुष की एक रंजक कथा प्रसिद्ध है त्रेता युग में अंधकासुर नामक महा पराक्रमी बलाध्य और क्रूर असुर था वह राक्षसों  का सम्राट था वह बहुत निर्दय और अत्याचारी था अंधकासुर के अत्याचार से भू लोक निवासी स्त्री-पुरुष आदि प्रजाजन स्वर का निवासी देवता गंधर्व ऋषि गण पीड़ित सारे पीड़ित जन  भगवान शंकर को शरण गए भोलेनाथ ने सबको जीवन के आधार का वचन दिया भोलेनाथ के वचन सुनकर अंधकासुर को गुस्सा आ गया उसने और ज्यादा अत्याचार करना शुरू कर दिया और भगवान शंकर को ही युद्ध की चुनौती दे दी

Bhagwan Shiv Battle

इस भयंकर महायुद्ध में असुरों की ओर से अंधकासुर और देवताओं की ओर से भगवान शिव युद्ध करते रहे .दोनों बलशाली और अनेक संवारक शास्त्रों के अधिपति थे इसलिए युद्ध में कई दिन बीत गए महीने बीत गए युद्ध में अंधकासुर घायल हो गया और शिव शंकर पसीने से निखार उठे युद्ध के अंतिम चरण में त्रिशूलधारी भोलेनाथ के माथे पर पसीना आया माथा    पूछते समय पसीने के कुछ बंदे युद्ध भूमि पर गिरी उन बूंद से अत्यंत बलवान धवन और विराट पुरुष  भूत की उत्पत्ति हुई उसे विराट पुरुष ने अपना शरीर बड़ा करना शुरू किया देखते ही देखते उसने पूरी धरती को ढक लिया देवताओं को लगा कि यह राक्षसों  की ओर से कोई मायावी असुर पुरुष है जबकि असुरों को लगा कि यह देवताओं की तरफ से कोई नया तेजस्वी देवता प्रकट हो गया है

विराट पुरुष में भोलेनाथ को नमन किया और उनकी आज्ञा से अंधकासुर का संहार किया वध किया और उसका रक्त जमीन पर गिरने से पहले ही उसे निगल लिया पेट में खाना खाने से उसके भूख और बड़ी पुरुष ने  भगवान शंकर को प्रसन्न किया आकाश जमीन और पाताल में रहने वाले सभी प्राणी मेरा भोजन बन ऐसा त्रैलोक्य भक्षण वर प्राप्त किया प्राप्ति के बाद विराट पुरुष ने सामने दिखने वाले प्राणी ऋषि मुनि असुर आकाश अस्त देवता इन्हें अपना भक्षण बनना शुरू किया खाना शुरू किया इस जान पर आई बला से मुक्ति पाने के लिए छुटकारा पाने के लिए सभी भयभीत देवता सृष्टि रचयिता ब्रह्मदेव को शरण गए और पुरुष भूत से रक्षा करने की प्रार्थना की ब्रह्मा जी ने उसे  वृहदाकार पुरुष के बारे में कहा कि यह शिव और अंधकार महायुद्ध के दौरान उनके शरीर के पसीने की बूंद से इस विराट पुरुष का जन्म हुआ है इसलिए उसका नाम धरतीपुत्र रख दिया ब्रह्मा देव के नेतृत्व में सभी देवता गंधर्व असुर ऋषि मुनि आदि सभी लोगों ने एक साथ उसे पर आक्रमण कर दिया और उसे कर के बल जमीन पर गिरा दिया

जमीन पर उसे ऐसे दबोचा कि वह ना हल सके ना  जो देवता विराट पुरुष के जिस अंग पर विराजमान हो गई वह उसे शरीर के अंग का स्वामी बन गये  उदाहरण : के तौर पर दाएं कंधे पर पांचवें अंक पर सूर्य यानी अर्क ने कब्जा किया इसलिए पुरुष के दाएं कंधे के अधिपति सूर्य बन गए बाय घुटने के 19 अंग पर सुग्रीव बैठ गए इसलिए पुरुष के बाएं घुटने के अधिपति सुग्रीव बन गए लाचार भूमि पुरुष ब्रह्मा देव को शरण में गए  ब्रह्मा देव ने उसे विराट पुरुष को अपने मानस पुत्र होने की संख्या दी और उसके नामकरण के वक्त उपहार स्वरूप एक वरदान दिया
कि आज से तुम्हें संसार में वास्तु पुरुष के नाम से जाना जाएगा और तुम्हें संसार के कल्याण के लिए धरती के अंदर वास्तु मूर्ति निवास करना होगा हर निर्माण अधीन मकान दुकान बंगले के तुम प्रमुख देवता माने जाओगे मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि जो कोई भी व्यक्ति धरती के किसी भी भूभाग पर भवन नगर तालाब मंदिर वास्तु फैक्ट्री दुकान आदि का निर्माण कार्य करेगा यानी नया मकान स्वरूप वास्तु बनवाएगा लेकिन निर्माण कार्य के हर स्टेज पर तुम्हारी भूख मिटाने वालावास्तु बली नहीं देगा उसे तुम शारीरिक मानसिक आर्थिक तकलीफ दे सकते हो हानि पहुंचा सकते हो यानी भवन निर्माण कार्य के समय भूमि पूजन भूमि शांति भूमि संस्करण भूमि शुद्ध करण शिलान्यास विधि पूजन और पूर्ण भवन बनाने के बाद वेदों एवं  पुराणों का वास्तु शांति कार्य शास्त्रोक्त संपन्न करनी चाहिए इन शुभ कार्यों के दौरान जो भी हम हमन नैवेद्य तुम्हारा नाम से नहीं चढ़ाएगा वही तुम्हारा भोजन होगा
जो भी यह नहीं करेगा तुमको नेवैद्य नहीं देगा या पूजा नहीं करेगा तुम  उसका जीवन नर्क के समान यातनाडाई बना सकते हो .ब्रह्म देव ने तथास्तु आशीर्वाद देने की क्षमता वास्तु पुरुष को प्रदान की ब्रह्म देवके वचन सुनकर वास्तु पुरुष प्रसन्न हुआ वह धरती में विशिष्ट नमस्कार मुद्रण धारण करके धस गया

वास्तु पुरुष स्थिति/vastu purush position

 Vastu purush Direction in home
Vastu Purush

वस्तु समय चक्र के अनुसार उसके पांव नृत्य कौन और मुख ईशान कोण में था उसके उपरांत वह अपने दोनों हाथ जोड़कर पिता ब्रह्मा देव और धरती माता अदिति को नमस्कार करते हुए अंधे मुंह धरती में समाने लगा यानी वह हर भूखंड में विशाल से अनु में बदल गया माइक्रो से माइक्रो बन गया उदाहरण के तौर पर अगर आपका भूखंड एक एकड़ का है उसे कंपाउंड है तो उसमें एक ही वास्तु पुरुष वास करेगा अगर आपने उसे भूखंड के जो प्लॉट बना दिए और हर प्लॉट को कंपाउंड बना दिया तो ऑटोमेटेकली हर छोटे-छोटे कंपाउंड प्लॉट में वास्तु पुरुष का पूर्ण रूप से वास रहेगा
वास्तु पुरुष के शरीर अवस्था गुण और अवगुण के समान विचार दर्शाती है वास्तु पुरुष के माथे से पर तक एक रेखा खींची दिखाई देती है .वह रेखा उत्तर और पश्चिम दिशा वैसे ही पूरब और दक्षिण दिशा में वास्तु पुरुष के अंगों का सामान बंटवारा करती है इसे ही वास्तु पुरुष इमारत कानून का शासन और समानता कायदा कहते हैं

Vastu Shastra tips

भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार नूतन वस्तु में मकान में सभी देवता राक्षस गण ऋषि मुनि आदि को उनका यथा योग्य स्थानअच्छा  करना चाहिए अपना घर मंदिर समझ के साफ सुथरा स्वच्छ और सुंदर रखना चाहिए स्वच्छ मकान मानसिक शांति समाधान प्रदान करता है मानसिक स्वास्थ्य के कारण घर के सदस्यों में लड़ाई झगड़ा नहीं होते देवताओं के भगवान के आशीर्वाद से घर परिवार की तरक्की हो जाती है घर में पैसा प्रसिद्ध आने लगती है घर में शुभ ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी आती है इसलिए बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि घर में कभी झगड़ा नहीं करना चाहिए गाली गलौज नहीं देनी चाहिए गृह लक्ष्मीपत्नी बेटी माता आदि का सम्मान करना चाहिए खाने के बर्बादी नहीं करनी चाहिए घर में शांति बनाए रखने से वास्तु पुरुष प्रसन्न होता है सिद्धि सुख समृद्धि और सफलता प्रदान करने में सहायक भूत होता है सेहतमंद बढ़ाने का आशीष देता है इसलिए भारतीय वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार घर ऐसा बना की सभी देवताओं को ऋषि मुनियों को वस्तु और भवन में उनका सम्मान आ जाना स्थान प्रदान

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए/which direction should be mandir in home

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